New Traffic Rule 2025: सड़क परिवहन मंत्रालय अब ट्रैफिक नियमों में बड़ा बदलाव करने जा रहा है। प्रस्ताव के मुताबिक यदि कोई व्यक्ति बच्चों को साथ लेकर गाड़ी चलाते हुए नियम तोड़ता है। तो उसे अन्य ड्राइवरों की तुलना में अधिक जुर्माना देना होगा। यह कदम सड़क सुरक्षा को लेकर सरकार की बढ़ती गंभीरता को दर्शाता है।
बदलावों का मकसद – सड़कों को बनाना और सुरक्षित
इस प्रस्ताव का मुख्य उद्देश्य है कि बच्चों की सुरक्षा को प्राथमिकता दी जाए। मंत्रालय का मानना है कि अक्सर लोग बच्चों के साथ यात्रा करते समय भी ट्रैफिक नियमों का पालन नहीं करते, जिससे बच्चों की जान खतरे में पड़ सकती है। स्कूल बसों के नियम उल्लंघन की शिकायतें भी लगातार सामने आती रही हैं।
लाया जाएगा ‘मेरिट-डिमेरिट’ पॉइंट सिस्टम
नए प्रस्ताव के तहत सरकार एक ‘मेरिट और डिमेरिट पॉइंट सिस्टम’ लागू करने की तैयारी में है। इसका मतलब है कि
- जो ड्राइवर नियमों का पालन करेंगे, उन्हें पॉजिटिव पॉइंट (इनाम) मिलेंगे।
- वहीं नियम तोड़ने वालों को नेगेटिव पॉइंट (सजा) दिए जाएंगे।
अगर किसी व्यक्ति के नेगेटिव पॉइंट एक तय सीमा से अधिक हो जाते हैं, तो उसका ड्राइविंग लाइसेंस रद्द किया जा सकता है। इससे लोग नियमों के प्रति जिम्मेदारी का व्यवहार अपनाने के लिए प्रेरित होंगे।
बार-बार गलती की तो देना होगा दोबारा ड्राइविंग टेस्ट
प्रस्ताव के अनुसार ऐसे ड्राइवर जिनके रिकॉर्ड पर बार-बार नियम उल्लंघन दर्ज हैं, उन्हें लाइसेंस रिन्यूअल से पहले ड्राइविंग टेस्ट पास करना होगा। यह नियम उन ड्राइवरों पर लागू होगा जिनका लाइसेंस रिन्यू होने वाला है, और जिनका ट्रैफिक रिकॉर्ड खराब है। इसका उद्देश्य है कि गलतियों से सीखकर फिर से योग्य बनने का अवसर दिया जाए।
इंश्योरेंस प्रीमियम भी होगा ड्राइविंग व्यवहार से जुड़ा
एक और बड़ा बदलाव यह है कि अब इंश्योरेंस कंपनियां ड्राइवर के व्यवहार के आधार पर प्रीमियम तय करेंगी।
- सुरक्षित और नियमों का पालन करने वाले ड्राइवरों को छूट मिल सकती है।
- जबकि लापरवाह ड्राइवरों का प्रीमियम बढ़ सकता है।
यह एक प्रोत्साहन प्रणाली होगी, जिससे लोग सड़क पर जिम्मेदारी से गाड़ी चलाने को लेकर प्रेरित होंगे।
बच्चों के साथ गाड़ी चलाने पर विशेष निगरानी
इस प्रस्ताव का एक महत्वपूर्ण बिंदु यह भी है कि बच्चों के साथ यात्रा कर रहे ड्राइवरों के लिए अलग नियम होंगे। यदि ऐसे ड्राइवर ट्रैफिक नियम तोड़ते हैं, तो उन्हें सामान्य जुर्माने से ज्यादा दंड मिलेगा। सरकार का मानना है कि बच्चों की सुरक्षा सर्वोपरि है और उनकी उपस्थिति में नियमों का उल्लंघन और भी गंभीर अपराध माना जाना चाहिए।
क्या यह नियम लागू हो पाएंगे? उठ रहे हैं सवाल
रोड सेफ्टी एक्सपर्ट्स का मानना है कि नियम बनाना आसान है लेकिन उन्हें लागू करना मुश्किल होता है। एक एक्सपर्ट ने सवाल उठाया कि,
- कैमरे कैसे पहचानेंगे कि पीछे सीट पर बच्चा बैठा है या नहीं?
- क्या पुलिस हर गाड़ी रोककर अंदर बैठे लोगों की उम्र जांचेगी?
उन्होंने यह भी कहा कि अक्सर नीतियां बड़े शहरों को ध्यान में रखकर बनती हैं, जबकि ग्रामीण भारत की समस्याएं अलग होती हैं।
आज भी कई अपराधों पर नहीं होता चालान
विशेषज्ञों ने बताया कि आज भी ट्रैफिक पुलिस सिर्फ गिने-चुने अपराधों पर ही चालान करती है, जैसे
- तेज गति
- शराब पीकर गाड़ी चलाना
- लाल बत्ती तोड़ना
- मोबाइल का इस्तेमाल
- सीट बेल्ट या हेलमेट न पहनना
जबकि मोटर व्हीकल एक्ट में 100 से ज्यादा अपराध शामिल हैं। यदि प्रस्तावित नियमों को सही से लागू किया जाए, तो सड़क दुर्घटनाओं में भारी कमी लाई जा सकती है।
सरकार का फोकस
इन सभी प्रस्तावों का मूल उद्देश्य यही है कि सड़क पर हर व्यक्ति सुरक्षित रहे। सरकार चाहती है कि ड्राइवर नियमों को केवल कानून के डर से नहीं, बल्कि जिम्मेदारी से निभाएं।