School Holiday: पंजाब के मोगा जिले में बीते दिनों हुई भारी बारिश ने हालात बाढ़ जैसे बना दिए हैं। महज 5 घंटे की बारिश ने गांवों और शहर दोनों को बुरी तरह प्रभावित किया है। निहाल सिंह वाला क्षेत्र के मल्लेआना गांव में स्थिति सबसे गंभीर बताई जा रही है। जहां खेत पानी से लबालब भर गए हैं और पानी निकालने के लिए कई सड़कें तोड़नी पड़ी हैं। इस आपदा की वजह से आस-पास के छोटे कस्बों के कुछ निजी स्कूलों में छुट्टियों का ऐलान करना पड़ा है। फिलहाल हालात सामान्य नहीं हैं और प्रशासन अलर्ट मोड पर है।
गांवों में खेत बने झील, सड़कें बनीं नाले
बारिश का सबसे ज्यादा प्रभाव मल्लेआना गांव और उसके आसपास के कृषि क्षेत्रों पर पड़ा है। खेतों में पानी भर जाने के कारण फसलें डूब गईं और किसानों को भारी नुकसान झेलना पड़ा है। पानी की निकासी संभव न होने के कारण प्रशासन ने कुछ ग्रामीण सड़कों को तोड़कर जल निकासी की व्यवस्था की है। जिससे अन्य रास्तों पर भी प्रभाव पड़ा है।
प्राइवेट स्कूलों में छुट्टियों की घोषणा
स्थानीय लोगों की सुरक्षा और बच्चों की आवाजाही में जोखिम को देखते हुए प्रभावित कस्बों के कई निजी स्कूलों में छुट्टियों का ऐलान कर दिया गया है। स्कूल प्रबंधन का कहना है कि जब तक हालात सामान्य नहीं होते, तब तक कक्षाएं स्थगित रहेंगी। इससे विद्यार्थियों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है।
शहर में नगर निगम की पोल खुली
बारिश से केवल गांव ही नहीं, बल्कि मोगा शहर भी बुरी तरह से प्रभावित हुआ है। शहर की कोई भी गली या सड़क जलजमाव से अछूती नहीं रही। नगर निगम के विकास कार्यों की पोल तब खुल गई जब घर के अंदर तक पानी घुस गया। लोगों को अपने घरों में पानी निकालने के लिए बाल्टियों और मोटरों का सहारा लेना पड़ा।
यातायात पूरी तरह चरमरा गया
शहर की सड़कों पर कहीं घुटनों तक पानी तो कहीं जलभराव में फंसी गाड़ियां दिखीं। रोजमर्रा के कामों के लिए निकलने वाले लोग घंटों जाम में फंसे रहे। खासकर ऑफिस जाने वाले कर्मचारियों और स्कूल जाने वाले बच्चों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा।
स्थानीय प्रशासन की चुनौतियां बढ़ीं
इस स्थिति ने स्थानीय प्रशासन की तैयारी और आपदा प्रबंधन क्षमता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। हालांकि प्रशासन की ओर से पंपों और मशीनों की मदद से जलनिकासी का काम तेजी से किया जा रहा है, लेकिन रुक-रुक कर हो रही बारिश से चुनौती बनी हुई है।
स्वास्थ्य और स्वच्छता पर भी खतरा
जलभराव की वजह से मच्छर जनित बीमारियों और संक्रमण का खतरा भी बढ़ गया है। स्थानीय स्वास्थ्य विभाग को निर्देश दिए गए हैं कि प्रभावित क्षेत्रों में फॉगिंग, सैनिटाइज़ेशन और जरूरी दवाओं का छिड़काव किया जाए ताकि बीमारियों की रोकथाम हो सके।
लोगों में नाराजगी और प्रशासन से सवाल
स्थानीय निवासी विकास कार्यों की गुणवत्ता पर सवाल उठा रहे हैं। उनका कहना है कि बारिश होते ही सड़कें टूट जाती हैं और नालियां जाम हो जाती हैं, जिससे हर बार जलभराव की समस्या खड़ी हो जाती है। एक स्थानीय निवासी ने कहा, “हर साल यही हाल होता है, लेकिन नगर निगम और प्रशासन सिर्फ कागजों में तैयारियां करता है।”
भविष्य की तैयारी के लिए सुझाव
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर मोगा जैसे क्षेत्रों में सुनियोजित ड्रेनेज सिस्टम, बारिश पूर्व सफाई अभियान और आपात राहत योजनाएं तैयार की जाएं, तो इस तरह की आपदाओं को रोका जा सकता है। स्थानीय निकायों को मानसून से पहले तैयारी करनी चाहिए और जनजागरूकता अभियान भी चलाए जाने चाहिए।